केरल के तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अचानक एक ब्रिटिश F-35B फाइटर जेट की इमरजेंसी लैंडिंग ने सुरक्षा और तकनीक की दुनिया में खलबली मचा दी है। यह घटना सिर्फ एक लैंडिंग नहीं, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संवेदनशील विमान की सुरक्षा, डाटा प्रोटेक्शन और सैन्य ऑपरेशन के उच्चतम मानकों की परीक्षा भी बन चुकी है।
इस लेख में हम जानेंगे:
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F-35 की खासियत क्या है?
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उसे केरल से कैसे हटाया जाएगा?
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इससे जुड़े जोखिम और चुनौतियाँ क्या हैं?
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और आखिर यह भारत और विश्व के लिए क्यों महत्वपूर्ण घटना है।
F-35 Fighter Jet In Kerala : कथित तौर पर एफ-35बी जेट को तोड़कर सी-17 ग्लोबमास्टर की तरह एक विशेष परिवहन विमान पर ले जाया जाएगा।
ब्रिटिश एफ-35बी जेट विमान 14 जून से केरल में खड़ा है, जिस दिन इसने तिरुवनंतपुरम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आपातकालीन लैंडिंग की थी।
चूंकि विमान की मरम्मत के प्रयास अब तक सफल नहीं हुए हैं, इसलिए जेट को कथित तौर पर अलग करके सी-17 ग्लोबमास्टर जैसे विशेष परिवहन विमान में ले जाया जाएगा। हालांकि, पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ जेट को यूनाइटेड किंगडम ले जाना आसान नहीं होगा।
चुनौती क्यों?
F-35 Fighter Jet In Kerala : C-17 ग्लोबमास्टर एक बड़ा सैन्य परिवहन विमान है जिसका इस्तेमाल अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, भारत और अन्य देश करते हैं। विमान में कार्गो बे का आकार इतना बड़ा है कि इसमें कई सैनिक ले जा सकते हैं और यह AH-64 अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर भी ले जा सकता है।
- हालांकि, F-35B जेट को अलग करके C-17 ग्लोबमास्टर में फिट करना अभी भी मुश्किल होगा। इंडिया टुडे डिजिटल की रिपोर्ट के अनुसार, कार्गो विमान में फिट होने के लिए F-35B जेट को अपने पंख खोने पड़ेंगे।
- प्रकाशन ने एक रक्षा विशेषज्ञ के हवाले से कहा, “C-17 का कार्गो होल्ड 26 मीटर लंबा है, लेकिन इसकी चौड़ाई सिर्फ़ 4 मीटर है, जिसका मतलब है कि जब तक पंख अलग नहीं हो जाते, तब तक F-35 को लोड नहीं किया जा सकता।” यह पहली बार नहीं है जब कार्गो विमान F-35 जेट ले जा रहा है। एग्लिन बेस वेबसाइट के अनुसार, 2019 में, लॉकहीड मार्टिन F-35 लाइटनिंग II फाइटर जेट को फ्लोरिडा के एग्लिन एयर फ़ोर्स बेस से यूटा के हिल एयर फ़ोर्स बेस तक सफलतापूर्वक पहुँचाया गया था।
- डेटा चोरी का जोखिम F-35B जेट की कीमत 110 मिलियन डॉलर से ज़्यादा है और इसे दुनिया के सबसे उन्नत लड़ाकू विमानों में से एक माना जाता है। इसलिए, ऐसे जेट को नष्ट करने से डेटा चोरी का
- जोखिम जुड़ा हुआ है। NDTV की एक रिपोर्ट के अनुसार, स्टील्थ तकनीक की चोरी के जोखिम को कम करने के लिए जेट के हर स्क्रू को नष्ट करने के दौरान अद्वितीय कोड से सुरक्षित करना होगा।

प्रकाशन ने आगे कहा कि विमान को नष्ट करने का काम केवल एयरोस्पेस और रक्षा ठेकेदार लॉकहीड मार्टिन द्वारा प्रमाणित इंजीनियरों द्वारा ही किया जा सकता है।
ब्रिटिश सेना स्टील्थ सिस्टम की सुरक्षा के लिए विमान को नष्ट करने की प्रक्रिया की बारीकी से निगरानी करेगी। इस मामले में डेटा उल्लंघन से संवेदनशील लड़ाकू क्षमताओं का खुलासा हो सकता है।
🔭 अब बड़ा सवाल: क्या भारत के लिए कुछ खतरा है?
नहीं – यह ब्रिटिश रॉयल नेवी की संचालन प्रक्रिया है। भारत की भूमिका केवल हॉस्ट कंट्री के रूप में है। लेकिन यह घटना भारत के लिए भी महत्वपूर्ण है:
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भारत में ऐसे हाई-टेक विमानों की लैंडिंग दर्शाता है कि भारत अब सुरक्षित डिप्लोमैटिक स्पेस है
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तकनीकी सहयोग और सामरिक रणनीति में भारत की बढ़ती भूमिका स्पष्ट होती है
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भारत की लॉजिस्टिक क्षमता (जैसे तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट) पर भी विश्वास बढ़ा है
F-35 जेट के लिए आगे क्या?
- F-35B, जो ब्रिटेन की रॉयल नेवी का है, ने 14 जून को तिरुवनंतपुरम में आपातकालीन लैंडिंग की, और कथित तौर पर HMS प्रिंस ऑफ वेल्स की छह सदस्यीय टीम द्वारा इसकी सुरक्षा की जा रही है।
- विमान को नष्ट करने की योजना के बावजूद, इसे ले जाने से पहले कुछ मरम्मत की आवश्यकता होगी। इस उद्देश्य के लिए, विमानन इंजीनियरों की 40 सदस्यीय टीम 5 जुलाई को केरल पहुंचेगी।
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🧠 FAQs: अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Q.1: F-35B केरल में कैसे पहुंचा?
👉 तकनीकी खराबी के चलते इमरजेंसी लैंडिंग की गई थी।
Q.2: क्या F-35 को भारत में मरम्मत किया जा सकता है?
👉 नहीं, इसके लिए Lockheed Martin की विशेष टीम चाहिए।
Q.3: क्या इस प्रक्रिया में कोई सुरक्षा जोखिम है?
👉 हाँ, इसलिए सख्त कोडिंग और निगरानी की जाएगी।
Q.4: क्या भारत में ऐसा पहले हुआ है?
👉 इतना हाई-टेक जेट पहली बार लैंड हुआ है।
Q.5: क्या इसे उड़ाकर वापस ले जाया जा सकता है?
👉 नहीं, तकनीकी रूप से यह अभी संभव नहीं है, इसलिए dismantle करना ही विकल्प है।
भारत क्यों बना इस घटनाक्रम का केन्द्र?
F-35 जैसी एडवांस्ड तकनीक को संभालने की काबिलियत अब भारत में है। यह सिर्फ एक इमरजेंसी लैंडिंग नहीं, बल्कि भारत की बढ़ती वैश्विक सैन्य भूमिका का संकेत है।
विकसित सैन्य और लॉजिस्टिक्स इन्फ्रास्ट्रक्चर अब भारत को एक ग्लोबल डिफेंस पार्टनर बना रहा है।
📰 अंतिम अपडेट
✅ 5 जुलाई को ब्रिटिश तकनीकी टीम पहुंचेगी
✅ C-17 विमान तैनात होगा
✅ ब्रिटेन में सुरक्षित ट्रांसपोर्ट की प्रक्रिया शुरू की जाएगी