US H-1B Visa Fee 2025: अमेरिका में H-1B वीज़ा की लागत ₹83 लाख (US$100,000) तक पहुँची; जर्मनी बना नया आकर्षक गंतव्य

🔹 H-1B वीज़ा शुल्क में ऐतिहासिक वृद्धि — विदेशी पेशेवरों के लिए बड़ा झटका

H-1B Visa Fee 2025: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने एच-1बी (H-1B) वीज़ा के लिए नई याचिकाओं पर शुल्क $100,000 (लगभग ₹83 लाख) निर्धारित कर दिया है। पहले जहां यह फीस $2,000 से $5,000 के बीच होती थी, अब यह अचानक 20 गुना से अधिक बढ़ गई है।

यह नई नीति 21 सितंबर 2025 से प्रभावी हो गई है, और इसका असर सीधे तौर पर उन कुशल विदेशी श्रमिकों पर पड़ा है जो अमेरिका में तकनीकी और इंजीनियरिंग नौकरियों की तलाश में हैं।

H-1B वीजा की कीमत अब $100,000 है: यही कारण है कि जर्मनी कुशल श्रमिकों के लिए बेहतर करियर कदम हो सकता है
H-1B Visa Fee 2025

🔹 प्रमुख कंपनियाँ प्रभावित — टेक सेक्टर में चिंता की लहर

इस नीति से अमेज़न, माइक्रोसॉफ्ट, मेटा, गूगल और ऐप्पल जैसी बड़ी टेक कंपनियाँ सबसे ज्यादा प्रभावित हुई हैं।
इन कंपनियों के हजारों कर्मचारी H-1B वीज़ा पर काम कर रहे हैं।

अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने CNN को बताया कि प्रशासन ने कंपनियों से परामर्श करने के बाद यह निर्णय लिया है ताकि “अमेरिकी श्रमिकों को प्राथमिकता” दी जा सके।

व्हाइट हाउस के प्रवक्ता टेलर रोजर्स ने कहा:

“यह राष्ट्रपति ट्रंप की ‘American Workers First’ नीति का हिस्सा है — जिससे घरेलू रोजगार को बढ़ावा मिलेगा।”

हालाँकि, उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय अमेरिका के वैश्विक तकनीकी प्रतिस्पर्धा को नुकसान पहुँचा सकता है।


🔹 नया नियम क्या कहता है?

  • यह शुल्क सिर्फ नई H-1B याचिकाओं पर लागू होगा।
  • नवीनीकरण या मौजूदा H-1B वीज़ा धारक प्रभावित नहीं होंगे।
  • यह एक बार का शुल्क है, वार्षिक नहीं।
  • नियोक्ताओं (Employers) को यह राशि चुकानी होगी — इसे कर्मचारियों पर नहीं डाला जा सकता।

🔹 विशेषज्ञों की चेतावनी

विश्लेषकों का कहना है कि यह नीति कई अमेरिकी कंपनियों को H-1B वीज़ा प्रायोजित करने से रोक सकती है, जिससे तकनीकी क्षेत्र में कुशल प्रतिभा की कमी हो सकती है।

कई भारतीय इंजीनियर, डेटा साइंटिस्ट और डेवलपर्स अब अमेरिका की जगह यूरोप, विशेष रूप से जर्मनी, की ओर रुख कर रहे हैं।


🇩🇪 जर्मनी का फायदा — Skilled Immigration Policy बनी आकर्षण का केंद्र

अमेरिका की कड़ी नीति के बीच जर्मनी ने खुद को एक “कुशल प्रवासन-मैत्रीपूर्ण देश” के रूप में पेश किया है।

भारत में जर्मनी के राजदूत डॉ. फिलिप एकरमैन ने हाल ही में कहा:

“हम सभी उच्च कुशल भारतीय पेशेवरों को आमंत्रित करते हैं। जर्मनी में स्थिर नीति, बेहतर वेतन और दीर्घकालिक अवसर हैं।”

उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय पेशेवर जर्मनी में औसत जर्मन कर्मचारियों से अधिक कमाते हैं।


🔸 अमेरिका बनाम जर्मनी: वीज़ा और प्रवासन शर्तों की तुलना

विशेषता संयुक्त राज्य अमेरिका (नया H-1B) जर्मनी (Skilled Immigration / EU Blue Card)
वीज़ा आवेदन की लागत (Employer) US$100,000 + अन्य शुल्क कुछ हज़ार यूरो से कम
लागू किस पर होता है सिर्फ नई याचिकाओं पर योग्य श्रमिकों (वेतन व शिक्षा सीमा पूरी करने वालों) पर
नवीनीकरण नीति नया शुल्क लागू नहीं मानक नवीनीकरण या स्थायी निवास ट्रैक
नौकरी लचीलापन नियोक्ता से बंधा हुआ अधिक लचीलापन, स्थायी निवास का मार्ग
सुरक्षा और स्थिरता राजनीतिक बदलाव से प्रभावित स्थिर वीज़ा नीतियाँ
वर्क परमीट प्रोसेसिंग समय लंबा (6-8 महीने) तेज़ (3-4 महीने औसत)

🔹 अमेरिका की नीति के असर — वैश्विक प्रतिभा पलायन की संभावना

नई H-1B फीस के बाद, कई कंपनियाँ अपने विदेशी कर्मचारियों को “ट्रैवल एडवाइजरी” जारी कर रही हैं।

  • कुछ कर्मचारियों ने अमेरिका छोड़ दिया है।
  • नए आवेदन लगभग 70% तक कम हो गए हैं।
  • विदेशी छात्रों में OPT और STEM वर्क परमिट की मांग घट रही है।

आईटी और इंजीनियरिंग क्षेत्र के विश्लेषक कहते हैं कि इससे अमेरिका की नवाचार क्षमता पर असर पड़ेगा और यह वैश्विक प्रतिस्पर्धा में पिछड़ सकता है।


🔹 जर्मनी का अवसर: “ब्रेन गेन” बनाम “ब्रेन ड्रेन”

जर्मनी पहले से ही अपने EU Blue Card System के माध्यम से विदेशी पेशेवरों को आकर्षित कर रहा है।

  • न्यूनतम वेतन सीमा कम की गई है।
  • IT, Engineering, Healthcare और Data Science जैसे क्षेत्रों में सीधी एंट्री दी जा रही है।
  • भारतीय नागरिकों के लिए Work Visa Processing Fast Track शुरू किया गया है।

इससे जर्मनी को अब भारत जैसे देशों से “ब्रेन गेन” मिल रहा है — यानी कुशल प्रतिभा का प्रवाह बढ़ रहा है, जो पहले अमेरिका जाती थी।


🔹 आगे का रास्ता

अमेरिकी नीति निर्माताओं पर दबाव बढ़ रहा है कि वे H-1B फीस में संशोधन करें या लचीलापन दें
अगर ऐसा नहीं हुआ, तो यूरोप, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश आने वाले वर्षों में
टेक टैलेंट के लिए प्रमुख गंतव्य बन सकते हैं।

H-1B Visa Fee 2025
H-1B Visa Fee 2025
विशेषता
संयुक्त राज्य अमेरिका (नया H-1B)
जर्मनी (कुशल प्रवासन)
नियोक्ता के लिए वीज़ा आवेदन की लागत यूएस$100,000 प्लस मौजूदा फाइलिंग शुल्क काफ़ी कम; आम तौर पर मध्यम वीज़ा या ब्लू कार्ड शुल्क (अक्सर कुछ हज़ार यूरो से कम)
प्रयोज्यता केवल नई याचिकाएँ; छूट संभव वेतन/शिक्षा सीमा को पूरा करने वाले योग्य श्रमिकों के लिए खुला है
नवीनीकरण और मौजूदा धारक नये शुल्क का असर नहीं मानक नवीनीकरण या स्थायी निवास ट्रैक
नौकरी की सुरक्षा और लचीलापन नियोक्ता प्रायोजन से बंधा हुआ अधिक लचीलापन, स्थायी स्थिति का मार्ग

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🟢 निष्कर्ष: H-1B से EU Blue Card की ओर बदलाव

H-1B वीज़ा की नई $100,000 फीस ने विदेशी पेशेवरों के लिए अमेरिका को कम आकर्षक बना दिया है।
दूसरी ओर, जर्मनी की खुली और स्थिर प्रवासन नीति ने उसे नई तकनीकी राजधानी बनने की दिशा में अग्रसर कर दिया है।

भारतीय तकनीकी पेशेवरों के लिए अब सवाल यह है —
क्या वे अमेरिका का सपना छोड़कर जर्मनी की ओर रुख करेंगे?

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