📅 नई दिल्ली, अक्टूबर 2025 — अफगानिस्तान और भारत के रिश्तों में एक ऐतिहासिक बदलाव देखने को मिला जब तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी शुक्रवार को भारत पहुंचे। यह यात्रा 2021 में तालिबान की सत्ता वापसी के बाद दोनों देशों के बीच पहली उच्च स्तरीय राजनयिक मुलाकात थी।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर और मुत्ताकी की बैठक के बाद भारत ने काबुल में अपने तकनीकी मिशन को दूतावास के स्तर तक अपग्रेड करने की घोषणा की — जो भारत-अफगानिस्तान संबंधों को एक नई दिशा देने वाला कदम माना जा रहा है।
🏛️ काबुल में भारतीय दूतावास फिर खुलेगा
बैठक के दौरान जयशंकर ने कहा कि भारत अफगानिस्तान के विकास, स्थिरता और शांति के लिए अपनी भूमिका को और मजबूत करेगा।
उन्होंने घोषणा की कि भारत काबुल में अपने दूतावास को औपचारिक रूप से फिर से खोलेगा, जो 2021 में तालिबान की सत्ता वापसी के बाद बंद कर दिया गया था।
2022 में भारत ने मानवीय सहायता के वितरण की निगरानी के लिए एक तकनीकी टीम भेजी थी, लेकिन अब दूतावास को पूर्ण राजनयिक स्तर पर बहाल किया जाएगा।
मुत्ताकी ने भी कहा कि भारत अफगान राजनयिकों को अपने यहां नियुक्त करने पर सहमत हो गया है, हालांकि यह राजदूत स्तर पर नहीं होगा।
🤝 भारत-अफगानिस्तान बैठक के मुख्य बिंदु
इस बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई —
- सीमा पार आतंकवाद और क्षेत्रीय सुरक्षा,
- मानवीय सहायता और पुनर्निर्माण परियोजनाएं,
- शिक्षा, स्वास्थ्य और सांस्कृतिक सहयोग,
- और भारत-अफगानिस्तान व्यापार और निवेश संबंध।
जयशंकर ने अफगानिस्तान से जुड़े पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों की गतिविधियों पर गंभीर चिंता जताई।
मुत्ताकी ने आश्वासन दिया कि तालिबान किसी भी समूह को “दूसरे देशों के खिलाफ अफगान भूमि का उपयोग करने की अनुमति नहीं देगा।”
⚔️ सीमा पार आतंकवाद पर साझा रुख
दोनों पक्षों ने बिना पाकिस्तान का नाम लिए, एक संयुक्त बयान जारी किया जिसमें “क्षेत्रीय देशों से उत्पन्न होने वाले सभी आतंकवादी कृत्यों की निंदा” की गई।
जयशंकर ने स्पष्ट किया —
“हम विकास और समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन सीमा पार आतंकवाद हमारे साझा भविष्य के लिए सबसे बड़ा खतरा है। हमें आतंकवाद के हर रूप से निपटने में सहयोग बढ़ाना होगा।”
बैठक में पहलगाम आतंकी हमले पर भी चर्चा हुई, जिसमें भारत ने तालिबान की एकजुटता और संवेदनशीलता की सराहना की।
💰 अफगानिस्तान में भारतीय निवेश और नई परियोजनाएं
अमीर खान मुत्ताकी ने भारतीय कंपनियों को खनन क्षेत्र में निवेश के लिए आमंत्रित किया और कहा कि इससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को नया बल मिलेगा।
भारत ने अफगानिस्तान में छह नई विकास परियोजनाओं की घोषणा की, जिनमें शामिल हैं:
- भूकंप प्रभावित इलाकों में आवासीय भवनों का पुनर्निर्माण।
- अफगान अस्पतालों को एमआरआई और सीटी स्कैन मशीनें देना।
- 20 नई एम्बुलेंस का उपहार।
- एक थैलेसीमिया केंद्र की स्थापना।
- पाँच मातृत्व स्वास्थ्य क्लीनिक का निर्माण।
- शरणार्थियों के लिए आवास और पुनर्वास सामग्री सहायता।
जयशंकर ने कहा —
“भारत की विकास साझेदारी अफगानिस्तान के हर प्रांत तक पहुंची है। अब यह नया अध्याय हमारी प्रतिबद्धता को और मजबूत करेगा।”
🏠 अफगान शरणार्थियों और मानवीय सहायता पर भारत की चिंता
भारत ने जबरन वापस भेजे गए अफगान शरणार्थियों की स्थिति पर गंभीर चिंता जताई।
जयशंकर ने कहा कि उनकी गरिमा और आजीविका की सुरक्षा भारत की प्राथमिकता है।
भारत ने अफगान शरणार्थियों के लिए आवास निर्माण और जीवन पुनर्निर्माण में मदद जारी रखने का वादा किया है।
🎓 शिक्षा, खेल और सांस्कृतिक सहयोग
बैठक में शिक्षा और खेल को द्विपक्षीय रिश्तों के नए सेतु के रूप में देखा गया।
जयशंकर ने कहा कि भारत अफगान छात्रों के लिए अधिक वीजा जारी करेगा, जिससे उन्हें भारतीय विश्वविद्यालयों में अध्ययन के अवसर मिलेंगे।
इसके साथ ही, भारत ने कहा कि वह अफगान क्रिकेट टीम के विकास और खिलाड़ियों की प्रशिक्षण सुविधाओं को बढ़ावा देगा।
“अफगान क्रिकेट प्रतिभा का उद्भव प्रभावशाली रहा है,” जयशंकर ने कहा।
🏗️ स्वास्थ्य और आधारभूत ढांचा विकास
भारत ने अफगानिस्तान की स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए कई घोषणाएं कीं —
- एमआरआई और सीटी स्कैन मशीनें,
- टीकाकरण और कैंसर उपचार दवाएं,
- एम्बुलेंस और क्लीनिक,
- और स्वास्थ्यकर्मी प्रशिक्षण कार्यक्रम।
इन परियोजनाओं का उद्देश्य अफगानिस्तान में लोक स्वास्थ्य अवसंरचना को पुनर्जीवित करना है।
🕊️ भारत की विदेश नीति का संतुलन
भारत ने यह स्पष्ट किया कि अफगानिस्तान के साथ संवाद का अर्थ तालिबान शासन की औपचारिक मान्यता नहीं है, बल्कि यह मानवीय और विकास सहयोग के माध्यम से अफगान जनता की सहायता का प्रयास है।
जयशंकर ने कहा —
“भारत अफगानिस्तान की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और स्वतंत्रता के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।”
यह नीति भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक जिम्मेदार क्षेत्रीय शक्ति के रूप में स्थापित करती है, जो शांति, स्थिरता और सहयोग को प्राथमिकता देती है।
🧭 निष्कर्ष: अफगानिस्तान के लिए नई दिशा, भारत के लिए रणनीतिक अवसर
अमीर खान मुत्ताकी की यह यात्रा भारत-अफगान संबंधों में एक कूटनीतिक पुनर्जागरण का संकेत देती है।
काबुल में दूतावास का पुनः खुलना, नई विकास परियोजनाओं की घोषणा, और शिक्षा-स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग — यह सब भारत की “नेबरहुड फर्स्ट” नीति का हिस्सा है।
हालांकि अभी भी सीमा पार आतंकवाद और राजनीतिक अस्थिरता जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं, लेकिन भारत का यह कदम दिखाता है कि वह अफगानिस्तान को अलग-थलग करने के बजाय जोड़ने की नीति पर चल रहा है।
भारत और अफगानिस्तान के बीच यह संवाद न केवल दक्षिण एशिया की स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पूरे क्षेत्र में शांति, विकास और आपसी विश्वास की नई संभावनाओं को जन्म देता है।